एक बार बजा दे बाँसुरीया,
मेरे मोहन श्याम साँवरीया॥
सूनी है नगरी निज मन की।
और कुंज गली वृंदावन की॥
बरसा दे प्रीत बदरीया,
मेरे मोहन श्याम साँवरीया।
यमुना के बैठ किनारे।
सब विरहन राह निहारे॥
तेरी ग्वालन भई बावरीया,
मेरे मोहन श्याम साँवरीया।
तेरी मुरली जब जब बोले।
मन में मधु मिसरी घोले॥
यूँ ही गुजरे सारी उमरीया,
मेरे मोहन श्याम साँवरीया।
एक बार बजादे बाँसुरीया।
मेरे मोहन श्याम साँवरीया॥
गीतकार:- kumar karan mastana