दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया,
कोई हमदर्द तुमसा नहीं है......
दुनिया वाले नमक है छिड़कते,
कोई मरहम लगाता नहीं है,
दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया,
कोई हमदर्द तुमसा नहीं है......
किसको वैरी कहु किसको अपना,
झूठे वादे है ये सारे सपना,
अब तो कहने में आती शर्म है,
रिश्ते नाते ये सारे भर्म है,
देख खुशियां मेरी ज़िन्दगी की,
रास अपनों को आती नहीं है,
दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया,
कोई हमदर्द तुमसा नहीं है......
ठोकरों पर है ठोकर खाया,
जब दिल दुसरो से लगाया,
हर कदम पे है सबने गिराया,
सबने स्वार्थ का रिश्ता निभाया,
तुमसे नैना लड़ाना कान्हा,
दुनिया वालो को भाता नहीं है,
दर्द किसको दिखाऊं कन्हैया,
कोई हमदर्द तुमसा नहीं है......