वृन्दावन की कुञ्ज गली में फाग खेल रहे वनवारी,
भर भर के मारे पिचकारी,
वृन्दावन की कुञ्ज गली में फाग खेल रहे वनवारी,
सहधज के आई गोरी है मुस्काये रही थोड़ी थोड़ी है,
ये तो रेशम की सी डोरी है घूमे लटके नागिन काली,
भर भर के मारे पिचकारी,
वृन्दावन की कुञ्ज गली में फाग खेल रहे वनवारी,
नन्द गांव से आइयो नन्द लाला,मस्ती में नाच रहे ग्वाला,
कर दही कॉल सब ब्रिज बाला,रण में बोरी है बारी बारी,
भर भर के मारे पिचकारी,
वृन्दावन की कुञ्ज गली में फाग खेल रहे वनवारी,
नन्दलाल गवायो गोपन ने फिर दाव चलायो गोपियाँ ने,
यु तो बहु बनाया गोपियाँ ने संग नचा रही राधा प्यारी,
भर भर के मारे पिचकारी,
वृन्दावन की कुञ्ज गली में फाग खेल रहे वनवारी,
बेशक कान्हा रंग को कारो,
भगतन को प्राणां से प्यारो,
कहे तोताराम खामी वालो या के चरण कमल पे बलिहारी,
भर भर के मारे पिचकारी,
वृन्दावन की कुञ्ज गली में फाग खेल रहे वनवारी,