चल चैला चल दुर कहीं चल

चल चैला चल दुर कहीं चल, दुनिया की भीड़ में हम जायें ना कुचल,
चल बाबा चल दुर कहीं चल, दुनिया की भीड़ में हम जायें ना कुचल,
चल चैला चल.....

दुनिया भरी है यहां, कोई भी नहीं है सगा,
देखा जहां घुंम कर, यहां तो दगा ही दगा,
दुर कहीं दुनिया से हम तुम जायेंगें,
छोड़ के जहां को हरि नाम गुंण गायेंगें,
लगा के समाधि बैठे, हो जायें अचल,
चल चैला चल.....

मेरी नज़र में कोई, किसी का भी कोई नहीं,
अपना बनाऊं किसे, देख लिया सब कुछ यहीं,
हरि का भजंन है सब कुछ अपना,
ओर कही बात का झुठा है सपनां,
होकर समर्पण गुरू के, वृन्दावन चल,
चल चैला चल.....
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