अरे लंका वालों दशानन से कह दो ,
हनुमान लंका जलाके चला है,
चुराते हो सीता मैया को छल से ,
समझलो तुम्हारी अपनी बला है…..
उजाड़े हैं मैंने ये बाग सारे,
संभल जाओ वर्मा जाओगे मारे,
गदा से गिराए दानव हज़ारों,
हनुमान ऐसा करके चला है…..
ये सोने की लंका जला के चला हूँ,
अंजाम तुमको बता के चला हूँ,
सर पे खड़कती है रावण तुम्हारे ,
समझ लो खड़काने का समय आ गाया है....
अहंकार छोड़ो ना जीवन गँवाओ
बेवक्त अपनी जान ना गँवाओ
करेगा तुम्हें भी बर्बाद रावण
तुमको ये हनुमत बता के चला है
अरे लंका वालों दशानन से कह दो……