मेरे दिल की पुकार तेरे भवन में दस रूपए की अरदास लगाई से,
बाबा सुन ले मेरे दिल की पुकार,
घना पुराना रोग मेरी काया में,
घाटे वाले लौट गया पाया मैं,
आया तेरी सारे जग में सुनी वड़्याई से,
बाबा सुन ले मेरे दिल की पुकार,
तेरे भवन में आके रोवन ला गया हो,
तेरी ज्योत का मेरे नशा सा छा गया हो,
आजा हो मन बाबा तीखे जा परछाई से,
बाबा सुन ले मेरे दिल की पुकार,
तेरी ज्योत पे जब भी भोग लगाओ सु,
छोटे छोटे जब दो लाडू खाऊ सु,
दुःख पाउ सु सारे आना टूटे अंगडाई से,
बाबा सुन ले मेरे दिल की पुकार,
तेरा भगत लाया मने लाया तेरे भवन में हो,
सुनके ने तो बोल चैन पड़ा तन में हो,
मन वे होवे अशोक भगत ने ज्योत जगाई सो,
बाबा सुन ले मेरे दिल की पुकार,