भोले मुझको ऐसा घर दो जिसमे तुम्हारा मंदिर हो,
ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी तुम मंदिर के अन्दर हो....
एक कमरा जिसमे तुम्हारा आसन भोले सजा रहे,
हर पल हर छिन भक्तो का वहां आना जान लगा रहे,
छोटे बड़े का उस घर में एक सामान ही आदर हो,
ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी तुम मंदिर के अन्दर हो…
इस दर से कोई भी सवाली खाली कभी जाए ना,
चैन ना पाऊं तब तक भोले जब तक चैन वो पाए ना,
मुझको दो वरदान दया का तुम तो दया का सागर हो,
ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी तुम मंदिर के अन्दर हो…
हर एक प्राणी उस घर का भोले तेरी महिमा गाता रहे,
तू रखे जिस हाल मैं दाती हर पल शुक्र मनाता रहे,
कभी न हिम्मत हारे माता चाहे शमा भयंकर हो,
ज्योत जगे दिन रैन तुम्हारी तुम मंदिर के अन्दर हो…