कनखल नगरी फूलों की बरसात हो गई,
मेरी गौरा जी की शादी भोले से हो गई,
हरिद्वार में फूलों की बरसात हो गई,
मेरी गौरा जी की शादी भोले से हो गई......
गंगा कहे मैं बड़ी और जमुना कहे मैं बड़ी,
काहे की बड़ी मेरी जटा में वही,
मेरी गौरा जी की शादी भोले से हो गई......
चंदा कहे मैं बड़ा और सूरज कहे मैं बड़ा,
काहे का बड़ा मेरे माथे पर सजा,
मेरी गौरा जी की शादी भोले से हो गई......
डमरु कहे मैं बड़ा त्रिशूल कहे मैं बड़ा,
काहे का बड़ा मेरे हाथों में सजा,
मेरी गौरा जी की शादी भोले से हो गई......
नाग कहे मैं बड़ा और नागिन कहे मैं बड़ी,
काहे की बड़ी मेरे गले में पड़ी,
मेरी गौरा जी की शादी भोले से हो गई......
बाघ अंबर कहे मैं बड़ा भस्मी कहे मैं बड़ा,
काहे की बड़ी मेरे तन पे सजी,
मेरी गौरा जी की शादी भोले से हो गई......
संत कहे मैं बड़ा और भक्त कहे मैं बड़ा,
काहे का बड़ा मेरे द्वारे पर खड़ा,
मेरी गौरा जी की शादी भोले से हो गई......