उधो मन न भए दस बीस

उधो, मन न भए दस बीस।

एक हुतो सो गयौ स्याम संग, को अवराधै ईस॥

सिथिल भईं सबहीं माधौ बिनु जथा देह बिनु सीस।

स्वासा अटकिरही आसा लगि, जीवहिं कोटि बरीस॥

तुम तौ सखा स्यामसुन्दर के, सकल जोग के ईस।

सूरदास, रसिकन की बतियां पुरवौ मन जगदीस॥

श्रेणी
download bhajan lyrics (1852 downloads)