धन वृन्दावन धाम है,
धन वृन्दावन नाम,
धन वृन्दावन रसिकजन,
जैसो मिले श्यामा श्याम,
ऐ री सखी मिल मंगल गाओ,
श्यामा श्याम को लाड लडाओ।
ऐ री सखी मिल मंगल गाओ,
श्यामा श्याम को लाड लडाओ।
कोई लाओ चुन चुन के, फूल और कलियाँ,
कोई लाओ चुन चुन के, फूल और कलियाँ,
सजाओ निकुंजन को, सब मिल अलियाँ,
इत्र से कुंज निकुंज महकाओ,
श्यामा श्याम को लाड लडाओ,
ऐ री सखी मिल मंगल गाओ,
श्यामा श्याम को लाड लडाओ......
रचाओ सखी कर पल्लव मेहँदी,
नैना में कजरा माथे पे बिंदी,
हिय प्यारी को श्रृंगार धराओ,
श्यामा श्याम को लाड लडाओ,
ऐ री सखी मिल मंगल गाओ,
श्यामा श्याम को लाड लडाओ......
राहा बुहारों झुकी झुकी पलकें,
नील गौर छवि झलमल झलकें,
पुष्प सुगन्धित सेज़ सजाओ,
श्यामा श्याम को लाड लडाओ,
ऐ री सखी मिल मंगल गाओ,
श्यामा श्याम को लाड लडाओ......
चित्र विचित्र सखी राग सुनावें,
झांझ मजीरा मृदंग बजावें,
हाँ, झांझ मजीरा मृदंग बजावें,
नित लली लालन को सुख को चाहो,
ललिता आनंद को सुख चाहो,
श्यामा श्याम को लाड लडाओ,
ऐ री सखी मिल मंगल गाओ,
श्यामा श्याम को लाड लडाओ.......