जब से मिला दरबार

जब से मिला दरबार मुझे सबसे है मिला प्यार,
खुश है मेरा परिवार बाबा ये सब तेरे चलते है,

मैं जीत रही हर बाजी तेरे चलते श्याम मिजाजी
जो माँगा वो पाया जिसकी मुझे दिकार,
जब से मिला दरबार..................

मुस्किल चाहे कितनी बड़ी है मेरे संग में श्याम धनि है,
बन कर के मेरा मांजी करता नैया को पार,
जब से मिला दरबार...................

तू न होता क्या करती ये सोच के अनसु झलके,
तूने श्याम को अपना के किया बहुत बड़ा उपकार,
जब से मिला दरबार...............
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