माहरो श्याम धनि झट आवे लो,
किया अटके काम श्याम जद काम बनावे गो,
माहरो श्याम धनि झट आवे लो,
भरी सभा में दुष्ट दुसासन साडी खिचत हारो,
चीर अंत करो सांवरियो पल में आओ समाइयो,
भगता री लाज बचावे रो
किया अटके काम श्याम जद काम बनावे गो,
माहरो श्याम धनि झट आवे लो,
नरसी ने कर कड़ताल तुम्ब्ड़ा भात भरण ने आयो,
बूढ़ा वेल तू टेडी काठी मोटाने संग लायो,
वैकुण्ठ को नाम हसावे लो,
किया अटके काम श्याम जद काम बनावे गो,
माहरो श्याम धनि झट आवे लो,
भाई भावज कान्हो रुक्मण बन कर देखो आया,
हीरा मोती मान कामुनगा भर भर थाल लुटाया