सतगुरु के चरणों में बस मेरा ठिकाना है

सतगुरु के चरणों में, बस मेरा ठिकाना है,
चरणों में छुपा तेरे, गुरु ज्ञान खजाना है....

मोह माया में फंसकर, तुझको ही मैं भूल गया,
जो शरण पड़ा तेरी, झट तूने कबूल किया,
अब ज्ञान का हृदय में, एक दीप जलाना है,
चरणों में छुपा तेरे, गुरु ज्ञान खजाना है....

मैं भटक रहा कब से, मंजिल ही नहीं मिलती,
सुने मन उपवन में, कलिया ही नहीं खिलती,
मेरे मन का मुरझाया, वह फूल खिलाना है,
चरणों में छुपा तेरे, गुरु ज्ञान खजाना है....

अंधियारा मिटा दो तुम, प्रभु महिमा मैं गांऊं,
संतो के समागम में, भीतर तक रम जाऊं,
इस भक्त को मुक्ति का, रस्ता दिखलाना है,
चरणों में छुपा तेरे, गुरु ज्ञान खजाना है....
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