मेरी गति मत बूझिये काहू,
रघुवर पद रति हो जायेगी,
नेह-गेह प्रिय बन्धु मित्रवर ,
सबसे विरति फिर हो जायेगी,
सेवक एक भरोसा राखे,
संसारी जन मन की भाखे,
मिले जगत से उर ना राखे,
कभी किसी का दोष न झांके,
रघुवर कृपा मानि मन माहीं
कर दो दया प्रभु तर जाएग,
विषय व्याल पग-पग के बन्धन,
जग पूजे करता अभिनन्दन,
ताके कर लागे हरि चन्दन,
जाकी रति हो दशरथ नन्दन,
होत सुबुद्धि विमल उर अंतर
सहज चरण रति हो जायेगी,
हमें बचा लो मारुतिनन्दन
नित-नित तव चरणों में वन्दन,
छूटे मोह महा जग बन्धन,
गौरीश करे नित प्रभु वन्दन,
कृपा करो रघुवर से मिला दो
सायुज्य मुक्ति मिल जायेगी
गौरीश नन्दन पाण्डेय
शिक्षक :- आ.बि.इ.कालेज रेनुसागर, सोनभद्र।
मो० - ८७३८०६०८४३