सीता आगे धरे ना पांव मुड़ कर देख रही पीछे को,
मुड़ मुड़ देख रही पीछे को, मुड़-मुड़ देख रही पीहर को,
सीता आगे धरे ना पांव....
सब आई संग की सहेली जिनके संग पीहर में खेली,
आंसू रोके रुकते नाय मुड़ मुड़ देख रही पीछे को,
सीता आगे धरे ना पांव....
पिता रोवे खंब पकड़ के जग रोवे आंसू भर के,
मां की ममता देखी ना जाए मुड़ मुड़ देख रही पीछे को,
सीता आगे धरे ना पांव....
वह जगत पिता जगदीश्वर है तेरे पति परमेश्वर,
बेटी जानो पड़े ससुराल मुड़ मुड़ देख रही पीछे को,
सीता आगे धरे ना पांव....
वह जनक नंदिनी बिटिया मिथिला नरेश घर रनिया,
सखियां विदा करें समझाएं मुड़ मुड़ देख रही पीछे को,
सीता आगे धरे ना पांव....