तर्ज : मेरा हाथ पकड़ ले रे
मेरे रामजी आएंगे
करलो स्वागत की तैयारी
इतने बरस के बाद है आई
राजतिलक की बारी
मेरे रामजी..
- दुल्हन के जैसी
अयोध्या सजेगी
एक बार फिर से
दीवाली मनेगी
राम लखन सीता हनुमत की..
निकलेगी असवारी.. मेरे रामजी
- केशरिया दुपट्टा अपने
माथे पे बांध के
करोड़ों भगत होंगे
सरयू के घाट पे
जय श्री राम के जयकारों से..
गूंजेगी दुनिया सारी.. मेरे रामजी
- अयोध्या न जा-सका तो
घरको सजाऊंगा
राम नाम का एक दीपक
घर में जलाऊंगा
भग्तों के संग अम्बरीष मांगे..
रखियो लाज हमारी.. मेरे रामजी
- रामजी के स्वागत में
उत्सव मनाएंगे
भीलणी के बेर जैसा
भोग हम लगाएंगे
फुलों की होली खेलेंगे..
ये है ईच्छा हमारी.. मेरे रामजी