शिव की गौरा चली पनिया लेकर गगरी,
लेकर गगरी हो रामा लेकर गगरी,
शिव की गौरा चली पनिया लेकर गगरी....
रूप देखकर पार्वती से बोला सागर पानी,
कौन तुम्हारे माता-पिता हैं कौन पुरुष की नारी,
किसको भरने आई पनिया लेकर गगरी,
शिव की गौरा चली पनिया लेकर गगरी....
राजा हिमाचल पिता हमारे मेनावत महतारी,
शिव शंकर हैं पति हमारे मैं उनकी घरवाली,
उनको भरने आई पनिया लेकर गगरी,
शिव की गौरा चली पनिया लेकर गगरी....
शिव शंकर हे जन्म जोगिया घर घर अलख जगामें,
चौदह रतन मेरे घर अंदर बैठी मौज उड़ाओ,
बंजा मेरी रे तू रनिया लेकर गगरी,
शिव की गौरा चली पनिया लेकर गगरी....
इतनी बात सुनी शंकर ने सागर धोरे आए,
शेषनाग की बना मथानिया चौदह रतन निकाले,
डाली सागर में मथनिया लेकर गगरी,
शिव की गौरा चली पनिया लेकर गगरी....
सात समुंदर थरथर कांपे जल पड़ गए सब खारे,
हाथ जोड़कर सागर बोला सुन लो डमरू वाले,
मैं ना चाहूं तेरी रनिया लेकर गगरी,
शिव की गौरा चली पनिया लेकर गगरी....