सझ धज भोले भंडारी आये है,

सझ धज भोले भंडारी आये है,
नंदी पे सवारी विष धरी आये है,
आई भोले की बारात ऋषि देव गण साथ,
ब्रह्मा विष्णु के संग त्रिपुरारी आये है,
सझ धज भोले भंडारी आये है,

बड़ा ही अजीब रूप भोले ने रचाया है,
श्रिष्टि का नाथ कैसा बन कर आया है,
तन भसम लगाए नाग गले लिपटाये खोली अपनी जताये जता धरी आये है,
सझ धज भोले भंडारी आये है....

आगे और पीछे भूत प्रेट्टो की है टोलियां,
चारो ही तरफ गूंज रही किल कारियाँ,
जो भी देखे वही हाय डरी डरी देखो जाए,
आज आफत के संग हाहा कारी आये है,
सझ धज भोले भंडारी आये है,

नंदी पे सवार शिव डमरू भजाते है,
डमरू पे भूतो की बारात को नचाते है,
दास शर्मा ये बोले तेरी जय हो शिव भोले,
तेरी लेने आज हम सेवाधारी आये है,
सझ धज भोले भंडारी आये है,
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