कितना रोकु मन के सोर को,
ये कहा रुकता है,
इस सोर से परे उस मौन से मिलना है,
मुझे शिव से भी नही शिव में मिलना है……
मुझे शिव से नही शिव में मिलना है,
मुझे शिव से नही शिव में मिलना है,
मुझे शिव से नही शिव में मिलना है….
अपने अहम् की अहुति दे जलना है,
अपने अहम् की अहुति दे जलना है,
मुझे शिव से नही शिव में मिलना है,
मुझे शिव से नही शिव में मिलना है……
क्यू मुझे किसी और के,
कस्टो का कारन बन्ना है,
चाँद और सीष सुशोभित,
उस चाँद सा शीतल बन्ना है….
क्यू मुझे किसी और के,
कस्टो का कारन बन्ना है,
चाँद और सीष सुशोभित,
उस चाँद सा शीतल बन्ना है,
उस चाँद सा शीतल बन्ना है……….
मुझे शिव से नही शिव में मिलना है,
मुझे शिव से नही शिव में मिलना है……
जितना मैं भटका,
उतना मैला हो आया हो,
जितना मैं भटका,
उतना मैला हो आया हो…..
कुछ ने है छला मोहे,
कुछ को मै छल आया हो,
कुछ को मै छल आया हो…..
मुझे शिव से नही शिव में मिलना है,
मुझे शिव से नही शिव में मिलना है.....