ऐसी समाधि लगाई रे

ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले,
अखियां ना खोले अखियां ना खोले.....

रिद्धि भी जगाए सिद्धि भी जगाए,
गणपत ने शंख बजाई रे भोला अखियां ना खोले,
ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले.....

ब्रम्हा भी जगाए विष्णु भी जगाए,
नारद ने वीणा बजाई रे भोला अखियां ना खोले,
ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले.....

राम भी जगाए उन्हें लक्ष्मण भी जगाए,
हनुमत ने चुटकी बजाई भोला अखियां ना खोले,
ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले.....

सीता जी जगाए उन्हें राधा जी जगाए,
गौरा ने पायल छनकाई रे भोला अखियां ना खोले,
ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले.....

संत भी जगाए महंत भी जगाए,
भक्तों ने विनती सुनाई रे भोला अखियां ना खोले,
ऐसी समाधि लगाई रे भोला अखियां ना खोले......
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