आयो रे सावन चलो भगतो

आयो रे सावन चालो भगतो,
महाकाल के आंगन में,
खुल जाती है किस्मत सबकी,
महाकाल के आंगन में……..

सावन का रंग बरस रहा है,
इत्र गुलाल भी महक रहा है,
होती है बरसात धरम कि ,
महाकाल के आँगन में,
आयो रे सावन चालो भगतो,
महाकाल के आंगन में……..

भक्त सभी उज्जैन में आके ,
खोये हुए है मस्ती में ,
आयी है कावडीयो कि टोली ,
महाकाल के आँगन में ,
आयो रे सावन चालो भगतो,
महाकाल के आंगन में…..

धरती अम्बर चाँद सितारे ,
मिलकर कहते है ये सारे,
आयी है देवो कि टोली ,
महाकाल के आँगन में ,
आयो रे सावन चालो भगतो,
महाकाल के आंगन में……….

जो भी मांगो में वो मिलता है ,
बाबा के दरबार में आके ,
खुल जाती है किस्मत सबकी ,
महाकाल के आँगन में ,
आयो रे सावन चालो भगतो,
महाकाल के आंगन में…..
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