शीश पे चँदा जटा में गंगा तन पे भस्मी राचे हो,
त्रिपुण्डधारी त्रिनेत्र धारी कर तेरे त्रिशूल बिराजै,
भोले शंकर की डमुरियाँ डम डम बाजै रे,
भोले शंकर की डमुरियाँ डम डम बाजै रे,
डम डम बाजै रे, डमुरियाँ, डम डम बाजै रे,
भोले शंकर की डमुरियाँ डम डम बाजै रे…..
कान में कुंडल बिच्छू के गले में हार हैं सर्पों के,
ये हैं प्यारे असुर यक्ष और गंधर्वों के,
गले में नर मुंडों की माला छाल बाघंबर धारी,
भोले शंकर की डमुरियाँ डम डम बाजै रे……
कंठ हलाहल धारा है भङ्ग धतूरा प्यारा है,
भूत प्रेम इनके संगी नंदी वाहन प्यारा है,
हर हर शंकर, महा भयंकर शिव हैं सबसे न्यारे,
भोले शंकर की डमुरियाँ डम डम बाजै रे……
कोई नहीं जो देता है वो सब शंकर देते हैं,
मन मन के सुख देते हैं सारे दुःख हर लेते हैं,
भोले का जसगान करे जो मनचाहा वर देते,
भोले शंकर की डमुरियाँ डम डम बाजै रे,
डम डम बाजै रे भोले शंकर की डमुरियाँ,
डम डम बाजै रे डम डम बाजै रे, डमुरियाँ, डम डम बाजै रे,
भोले शंकर की डमुरियाँ डम डम बाजै रे………