भोले बाबा जी सुन लो अर्ज हमारी,
दुनिया ने ठुकराया मुझको आया शरण तुम्हारी,
भोले बाबा जी सुन लो अरज हमारी.....
सुर असुरों ने मथा सुंदर संपत्ति निकली भारी,
अमृत निकला पिए देवता विष भोले भंडारी,
नीलकंठ बनकर के भोले जग की विपदा टाली,
भोले बाबा जी सुन लो अरज हमारी.....
भागीरथ की विनती सुनकर सिर पे गंगा धारी,
उसके कुल को मिली थीं मुक्ति जब किरपा हुई तुम्हारी,
हम पे भी तुम किरपा कर दो है भोले भंडारी,
भोले बाबा जी सुन लो अरज हमारी.....
सारे जग को छोड़ के बाबा द्वार पे तेरे आया,
तेरे नाम का सिमरन कर के तेरा अलख जगाया,
बम बम बम बम भोले निरंजन है भोले भंडारी,
भोले बाबा जी सुन लो अरज हमारी.....
लेखक:निरंजन लाल अग्रवाल