मैं पागल बृज़ धाम का दास श्यामा श्याम का

बौल-: मुकुट सिर मोर का

मैं पागल बृज़ धाम का, दास श्यामा श्याम का,
चरणं सुखदाई, युगल सरकार के,
मैं पागल बृज़ धाम का.....

श्यामा श्याम जहां चरणं धरत है,
देख युगल चरणं मन ना भरत है,
प्रेमी सुखधाम का, दास श्यामा श्याम का,
चरणं सुखदाई, युगल सरकार के,
मैं पागल बृज़ धाम का.....

जिंन चरणंन की पुजा, महादेव करत है,
ब्रम्हां पुजन को ललाईत रहत है,
आनंद रस पान का, दास श्यामा श्याम का,
चरणं सुखदाई, युगल सरकार के,
मैं पागल बृज़ धाम का.....

रसका पान पागल करत है,
इन चरणंन को धसका, मन में धरत है,
स्वामी जू के नाम का, दास श्यामा श्याम का,
चरणं सुखदाई, युगल सरकार के,
मैं पागल बृज़ धाम का.....
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