बड़े करुणामयी है सीतापति,
ऐसे चर्चे प्रभु के सुने है मगर,
है दयावान उनसा नही और कोई,
ऐसे चर्चे प्रभु के सुने है मैंने....
गीध को अपने हाथों में लेकर के जब,
आंख से आपने आंसू बहाया किये,
किया निज कर से तारन तरण गीध का,
ऐसे चर्चे प्रभु के सुने है मैंने.....
किया अधरम अहिल्या से जब इंद्र ने,
क्रोध से पति के श्रापित अहिल्या हुई,
छू के चरणों से पावन किया था उसे,
ऐसे चर्चे प्रभु के सुने है मैंने.....
जाति की भीलनी बूढ़ी शबरी के घर,
आप बहुचे पुजारिन बड़ी खुश हुई,
"राजेंद्र"जूठे ही फल खा उधारा उसे,
ऐसे चर्चे प्रभु के सुने है मैंने.....
गीतकार/गायक-राजेन्द्र प्रसाद सोनी