गिरजा के लाडले दुलारे,
के सबई देव आरती उतारे.....
पहलऊ पूजा होए तुम्हारी,
पहलउ काज सवारे,
के सबई देव आरती उतारे.....
माथे मुकुट कान है कुण्डल,
नैनन कोर कजरारे,
के सबई देव आरती उतारे.....
गले हार मोतिन के माला,
पीले वस्त्र तन धारे,
के सबई देव आरती उतारे.....
रिद्धि सिद्धि बुद्धि के दाता,
माता के नैनो के तारे,
के सबई देव आरती उतारे.....
पुष्प दीप मधुमेवा चढ़ते,
लडुवन् के भोग लगें प्यारे,
के सबई देव आरती उतारे.....
सब गणपति को ध्यान करत है,
दइयो सबखें सहारे,
के सबई देव आरती उतारे.....
गायक - विजय साहू (जबलपुर)