सूंड़ सून्डाला दूँद दूँदाला, मस्तक मोटा कान,
गणपति देव बड़ा बलवान ,
जो गणपति को प्रथम मनाता, उसका सारा दुःख मिट जाता,
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पत्ति पाता, भव से बेडा पार उतरता,
मेरी नैया पार करो,मैं तेरा लगाऊँ ध्यान,
गणपति देव बड़ा बलवान ...
पार्वती के पुत्र हो प्यारे, सारे जग के तुम रखवारे,
भोलेनाथ है पिता तुम्हारे, सूर्य चन्द्रमा मस्तक धारे,
मेरे सारे दुःख मिट जावे, देवो यही वरदान,
गणपति देव बड़ा बलवान......
रिद्धि सिद्धि तेरे संग में सोहे, मूस सवारी मन को मोहे,
तेरी दया जिस पर हो जाये, उसका दुःख सुख में मिल जाये,
माला जपूँ मैं तेरी गणपति, करूँ तेरा गुणगान,
गणपति देव बड़ा बलवान ......