तर्ज - पारम्परिक
सारे जग में ये ऐलान होना चहिये,
हर गली हर मोड़ पे एक मंदिर होना चाहिए.....
मंदिर बनेगा बाबोसा का, धन्य वो गाँव शहर होगा,
वहाँ के हर प्राणी का, कल्याण हर पहर होगा,
पूण्य कार्य की शुभ शुरुवात होना चहिये,
हर गली हर मोड़ पे एक मंदिर होना चाहिए,
सारे जग में ये.....
जिस मोड़ से गुजरेंगे होंगे, हमको वहाँ पे दर्शन,
बाबोसा के दर्शन पाकर, होगा सफल ये जीवन,
दिल मे एक ऐसा अरमान होना चाहिए,
हर गली हर मोड़ पे एक मंदिर होना चाहिए,
सारे जग में ये.....
ज्योत जलेगी मंदिर में, दरबार सजेगा प्यारा,
बाबोसा के भजनों में, झूमेगा जग ये सारा,
हर जुबा से ये गुणगान होना चाहिए,
हर गली हर मोड़ पे एक मंदिर होना चाहिए,
सारे जग में ये.....
बाबोसा की प्रतिस्ठा, जब बाईसा करेगे,
"दिलबर" उस दिन से, हर बिगड़े काम बनेंगे,
बाबोसा तेरी पहचान होना चाहिये,
हर गली हर मोड़ पे एक मंदिर होना चाहिए,
सारे जग में ये.....