एक हार गुलाब का लाई हूँ

तर्ज - बड़ी दूर से चलकर आया हूं

एक हार गुलाब का लायी हूँ, बाबोसा तेरे दरबार में,
तेरे दर्शन को मैं आई हूँ, संग ले सारा परिवार मैं....
             
ना धन दौलत न माया है, न कोई मोटर कार है,
मैं पैदल पैदल आयी हूँ, बाबोसा तेरे प्यार में,
एक हार गुलाब का लायी हूँ....

ना कुबेर का धन चाहूं मैं, ना इच्छा है मुझे शोहरत की,
हो तेरी एक नजर बस, काफी है इस स्वार्थ के संसार मे,
एक हार गुलाब का लायी हूँ....

प्राची की तमन्ना है "दिलबर" अब लौट के में ना जाऊँगी,
चरणों मे तेरे गुजरे जीवन, बस करती रँहु दीदार मैं,
एक हार गुलाब का लायी हूँ....
             

श्रेणी
download bhajan lyrics (492 downloads)