समय का पहिया चलता है,
इस पहिये के साथ किसी का वक़्त बदल ता है,
करे नौकरी मरघट की वो हरीष चन्दर सा दानी,
राज कुंवर की लाश को लेकर आई तारारानी,
उस राजा का पुत्र भी बिलकश में जलता है,
समय का पहिया चलता है,
इस पहिये के साथ किसी का वक़्त बदल ता है,
हो अवध पूरी के रहने वाले तीनो वन में आये,
१४ वर्ष रहे वन में फिर बीते हर्षाये,
हो मात पिता की आज्ञा से ये राज बदलता है,
समय का पहिया चलता है,
इस पहिये के साथ किसी का वक़्त बदल ता है,
काँधी उधारी था वो अर्जुन भीम गधा सा धारी,
भरी सभा में नग्न हुई थी उन पांचो की नारी,
देख रहे थे पांचो पांडव जोर न चलता है,
समय का पहिया चलता है,
इस पहिये के साथ किसी का वक़्त बदल ता है,