यो कालो गणों रुपालो रे घडबोरया वालों रे,
मारो चार भुजा रो नाथ चतुरभुज भालावालो रे....
सिरपर सोहै मुकुट मनोहर कुडँल की छबि नयारि रे,
पीलो वस्र पीताँबर सोहै बागाँरो हद भारी रे,
झिलमिल झिलमिल तुरौ जलकै पलके भालो रे,
मारो चार भुजा रो नाथ चतुभरुज भालावालो रे.....
कडा नैवरी कमर कँदोरो पगपायल झाँजरिया रे,
गाल थिरकनी हिये हिरकनी सोहै रे सावरिया रे,
अधरधरी जो मुरली बीराजे छैल छबीलो रे,
मारो चार भुजा रो नाथ चतुरभुज भालावालो रे.....
बेठ पालकी राम रेवाड़ी होली खेले गिरधारी रे,
रँग बिरँगी गुलाल उडावे भक्तारै सँग खेले रे,
फागाँ रो मेलो हद भारी बडो रुपालो रे,
मारो चार भुजा रो नाथ चतुभुज भालावालो रे.....
सेज पालकी राम रेवाड़ी मेलौ लागै भारी रे,
गयारस झुलै बेठ साँवरो दुनिया दर्शन आवै रे,
ताल मझीरा घैरा बाजे बडौ नखरालौ रे,
मारो चार भुजा रो नाथ चतुरभुज भालावालो रे.....
चारभुजा कलियुग मै बिराजे हैलो मारो सुणजौ रे,
भक्त मँडली चरणाँ मै गावै सरणमै माँनै लीजै जी,
भोला भाला भक्ताँ को यौ राम रुखालौ रे,
मारो चार भुजा रो नाथ चतुरभुज भालावालो रे.....