दुनिया से मोह भंग हुआ है,
जब से मन तेरे संग लगा है,
दुनिया से मोह भंग हुआ है,
जब से मन तेरे संग लगा है…..
भूल गया हूँ दुनियादारी तुमको पाके,
अब और कही ना जाउ तेरे दर पे आके,
क्यों रूठे हो भोले हमको ये तो बताना,
दुनिया से मोह भंग हुआ है,
जब से मन तेरे संग हुआ है…
देखा है हमने हर एक नजारा,
पर देखा ना कुछ तुमसे प्यारा,
दूजा रंग चढ़े ना मुझपे,
जबसे तेरा रंग चढ़ा है,
दुनिया से मोह भंग हुआ है,
जब से मन तेरे संग हुआ है…
दर्शन से तेरे मन खिल जाता,
भक्त मनचाहा फल है पाता,
तेरी भक्ति का तो उमंग जगा है,
दुनिया से मोह भंग हुआ है,
जब से मन तेरे संग लगा है…….