बिना राम रघुनंदन के

बिना राम रघुनंदन के, कोई नहीं है अपना रे,
जहाॅ राम है, सच वही, बाकी जगत इक सपना रे,
सदा राम रहे राज़ी मुझसे, कर्म वही मुझे करना है,
जहां धर्म है राम वही , मोहे राम डगर ही चलना है,
बोलो राम, जय सिया राम, जय रघुनंदन जय जय राम.....

राम की करुणा किरपा है, जो अब तक मुझे संभाले है,
यदा कदा नहीं सर्वदा, संकट से राम निकाले है,
हैँ राम मेरे और राम का मै, बाकी फ़िकर क्या करना रे,
जहाँ राम है सुख वहीं, दुख मे भी राम को भजना रे.....

राम की हर इक आदत जब आदत मेरी बन जाएगी,
उस दिन जगत में राम कसम, हर बात मेरी बन जाएगी,
माया पति जब पास मेरे, माया को क्या तरसना रे,
जहां राम है, यश वही, जीवन की मधुर हर रसना रे.....

सतयुग था वो ये कलयुग है, यहाँ राम से ज्यादा रावण है,
रहे आज भी  महल मे रावन, राम भटकते वन वन है,
जीत अटल है राम की, रावण को पडेगा मरना रे,
जहाँ राम है मुक्ति वहीं, भव राम सहारे तरना रे....
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