मैया तेरी ऊंची नीची सीढ़ियां चढ़त डर लागे री मैया....
अंबा रास्ता कठिन चढ़ाई,
बीच में बह रही गंगा माई,
कैसे गोता लगाऊ मोहे तो जाढो लागे री मैया....
बीच में आ गई अर्धकुमारी,
गुफा तेरी मां लगती प्यारी,
कैसे पार मै जाऊ मुझे तो डर लागे री मैया.....
रास्ते में मिले हाथी मत्था,
भक्तों का वहां लग रहा जत्था,
भवन है कितनी दूर देख घबराऊ री मैया....
तेरे भवन में भीड़ बहुत है,
लंबी लंबी लाइन लगत है,
तेरी महिमा गांऊ जैकारे लगाऊं री मैया....
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ाऊं,
लाल चुनरिया सर पै उड़ाऊ,
खुले दर्शन पाऊं मेरी तो झोली भर दे री मैया.....