बिन भेद सबको अपनाती माँ लाखो पाप सब के मिटाती,
करने कल्याण स्वर्ग से आई तेरी जय जय हो गंगा माई,
जय गंगे हर गंगे माँ गंगे शिव गंगे तू ही सब का सहारा,
किया भागी रक्तक भरी तब तू प्रगट हुई माँ प्यारी,
तेरे पवन जल से नहाया पाप अपना उस ने मिटाया,
जय गंगे हर गंगे माँ गंगे तूने भव से तारा......
कल कल करती भहे तेरी ये शीतल धारा,
जो भी इसमें डुबकी लगाए कटे दुःख मिले उसे किनारा,
जग की हो तुम पालनहारी दीं हीं का सहारा,
जय गंगे हर गंगे माँ गंगे शिव गंगे .........
श्रदा भाव से तेरा करता है जो भी वंधन,
कष्ट हरे माँ तूने उसके मिला सुख उसी मन भावन,
तुम सब की हो तरन हरी तुम बिन कौन हमारा,
जय गंगे हर गंगे माँ गंगे शिव गंगे........