बाबा जी नैन रसीला,
ज्यूँ अमृत का प्याला जी,
म्हारां सांवरिया सरदार,
म्हारे हिवड़े रा हार,
थारी म्हारी बहुत पुराणी,
यारी जी, गोपाल......
श्याम भरोसे नावड़ी,
दी समंदर में छोड़,
तूफानों का सांवरा,
मुंडो दीज्यो मोड़,
झलक पलक दिखलाय के,
पूरी कर दे आस,
थे जी जीवन जेवड़ी,
हूँ दासन को दास.....
बाबा जी मोर मुकुट,
नख बेसर कुण्डल सोहै जी,
थारो जोवा सिणगार,
लेवा नज़र उतार,
म्हे तो थारा चरणों रा,
प्रेम पुजारी जी, बाबा श्याम......
म्हारा सांवरिया,
थारे नैणा सूं रस बरसे,
अमृत छलके,
यो छलक छलक के टाबरिया पे,
बरसे, मन हरसे, ओ सांवरिया।
म्हारे श्याम री नगरी, प्यारी रे,
जग जाणे म्हारे सेठ की दातारी रे......
जी भर निरखू जीव मैं,
सांवरिये को नूर,
नैणा से तो दूर है,
हिवड़े से ना दूर,
वैजयंती तो उर पे पड़ी,
तो लकुटी लीनी हाथ,
मन की जद खिल सी कली,
तो प्रीतम से हो बात.......
बाबा जी जादू गारी,
बंसी यो चित्त चोरयो जी,
हुए कालजिये रे पार,
दिन सुरता बिसार
बेगा आकर, सुध बुध म्हारी लीज्यो जी,
बाबा श्याम।
बाबा जी नैण रसीला,
ज्यूँ अमृत का प्याला जी,
म्हारां सांवरिया सरदार म्हारे हिवड़े रा हार,
थारी म्हारी बहुत पुराणी यारी जी, गोपाल.....
पद पंकज की रज सदा,
तो चाहूँ हे बृजराज,
थारी लीला गावता,
मोहे ना आवे लाज,
जगत नियंता आपको,
जग ज़ाहिर है नाम,
चाहूँ भक्ति आपकी,
दया से निष्काम……
बाबाजी श्याम बहादुर,
चरण शरण शिव आयो जी,
म्हारी सुण लो पुकार,
लेवो थाम पतवार,
थारे सु अरज गुजारी जी,
बाबा श्याम,
बाबा जी नैन रसीला,
ज्यूँ अमृत का प्याला जी,
म्हारां सांवरिया सरदार म्हारे हिवड़े रा हार,
थारी म्हारी बहुत पुराणी यारी जी, गोपाल.......