राम नाम की बीके मिठाई,
बिक रही बिना रुपैया में, खा लेओ ब्रज की नगरिया में.....
यह रे मिठाई मीरा ने खाई,
अमृत बनाई कन्हैया ने, बलदाऊ के भैया ने......
यह रे मिठाई द्रुपत ने खाई,
चीर बढ़ाए कन्हैया ने, बलदाऊ के भैया ने.....
यह रे मिठाई नरसी ने खाई,
भात भराए कन्हैया ने, बलदाऊ के भैया ने.....
यह रे मिठाई शबरी ने खाई,
दरश दिखाए कन्हैया ने, बलदाऊ के भैया ने.....
यह रे मिठाई हरिश्चंद्र ने खाई,
घड़ा उठाई कन्हैया ने, बलदाऊ के भैया ने.....
यह रे मिठाई मोरध्वज ने खाई,
लाल बचाए कन्हैया ने, बलदाऊ के भैया ने.....
यह रे मिठाई भक्तों ने खाई,
पार लगाए कन्हैया ने, बलदाऊ के भैया ने.....