ओ कान्हा मेरे..
ओ कान्हा मेरे ओ कान्हा मेरे तेरी राह निहारु पनघट पे,
बंसीवट पे तू ना आया तेरी बाट टकु जमुना तट पे,
मैं बाट टकु जमुना तट पे,
अब बाट टकु जमुना तट पे,
ओ कान्हा मेरे ओ कान्हा मेरे तेरी राह निहारु पनघट पे,
बंसीवट पे तू ना आया तेरी बाट टकु जमुना तट पे,
मैं बाट टकु जमुना तट पे,
अब बाट टकु जमुना तट पे,
तेरी बाट टकु जमुना तट पे।
गोकुल में देखा वृन्दावन देखा,
मधुवन में देखा गोवर्धन देखा,
ना देखा तुझको कहाँ कहाँ,
देखत देखत मैं तो हारी,
मैंने ढूंढा तुझको यहाँ वहाँ,
कहाँ जाके छुपे हो बनवारी,
ओ कान्हा मेरे..
ओ कान्हा मेरे ओ कान्हा मेरे तेरी राह निहारु पनघट पे,
बंसीवट पे तू ना आया तेरी बाट टकु जमुना तट पे,
मैं बाट टकु जमुना तट पे,
अब बाट टकु जमुना तट पे,
तेरी बाट टकु जमुना तट पे।
ना दिन में सोयी ना रात में सोयी,
रहती हूँ कान्हा मैं खोयी खोयी,
ऐसे ना सता अब आ भी जा,
अंखिया तेरे दर्शन की प्यासी,
क्या हुई खता इतना तो बता,
तुझे याद करे तेरी दासी,
ओ कान्हा मेरे..
ओ कान्हा मेरे ओ कान्हा मेरे तेरी राह निहारु पनघट पे,
बंसीवट पे तू ना आया तेरी बाट टकु जमुना तट पे,
मैं बाट टकु जमुना तट पे,
तेरी बाट टकु जमुना तट पे,
मैं बाट टकु जमुना तट पे,
तेरी बाट टकु जमुना तट पे......