मोरनी बनके बाग में नाचूँगी घनश्याम बजा दे मुरलिया.....
जब रे श्याम लांघता पे आये,
हम सब के वह चीयर चुराए,
मैं घर को कैसे जाऊँगी घनश्याम बजा दे …
मोहन संग सब रास रचावे,
बिन मोहन के चैन ना आवे,
रात मोहन को तड़पाऊँगी घनश्याम बजा दे …
छलिया करता है छल सबसे,
फिर भी रहता दिल में सबके,
श्याम के नैनन में बस जाऊँगी घनश्याम बजा दे मुरलिया…..