सिया जी से पूछ रहे अंजनी के लाला,
मांग में सिंदूर मिया हो..,
मांग में सिंदूर मिया किस लिए डाला.....
हनुमत की वाणी सुन सिया मुस्कुराई,
पीछा छुड़ाने की युक्ति बनाई,
खुश होगे मेरे स्वामी हो..,
खुश होगे मेरे स्वामी इसलिए डाला,
सिया जी से पूछ रहे अंजनी के लाला......
हनुमत ने सोचा में भी राम को रिझाऊँगा,
मैया ने लगाया में ज्यादा में लगाऊँगा,
ऐसा कह के हो..,
ऐसा कह के हनुमत ने पूरा तन रंग डाला,
सिया जी से पूछ रहे अंजनी के लाला......
मैया ने बताया वही रस्ता अपनाऊँगा,
राम जी के चरणों का दास बन जाऊंगा,
रामजी के नाम की हो..,
रामजी के नाम की जपूंगा में तो माला,
सिया जी से पूछ रहे अंजनी के लाला......
जब दरबार में बैठे श्री राम जी,
चरणों में शीश झुकाए हनुमान जी,
अजर अम्र तुम अंजनी के लाला,
सिया जी से पूछ रहे अंजनी के लाला.....