राधे नजरे इनायत करो,
तेरी रहमत का मोहताज हूँ,
तेरी चौखट पे मैं आ गया,
राधे तेरी शरण आज हूँ,
राधे नजरे इनायत करो,
तेरी रहमत का मोहताज हूँ........
मैं तो दुनिया में भटका बहुत,
हर दर से निराशा मिली,
पूरी कर दे तू आशा मेरी,
दर्द में देता आवाज हूँ ,
राधे नजरे इनायत करो,
तेरी रहमत का मोहताज हूँ......
ब्रज रानी किशोरी सुनो,
मैं सुनाता दिल की व्यथा,
हीन बेबस हूँ लाचार मैं,
बिन खुलाशा कोई राज हूँ,
राधे नजरे इनायत करो,
तेरी रहमत का मोहताज हूँ........
तुम नजरे करम यूँ करो,
मुझको मोहन के दीदार हो,
टेर अरुण आवारा सुनो,
बंदगी का खुला साज हूँ,
राधे नजरे इनायत करो,
तेरी रहमत का मोहताज हूँ.......