सच कहता हु मैं कसम से,
सोने चांदी न धन से करलो सेवा तन मन से,
मिलते है श्याम भजन से,
कन्हैया तो प्रेम का भूखा है,
जो प्रेम है ये उसका है,
दुनिया की दौलत से कान्हा खुश नहीं होते,
वरना ये पैसे वाले इसको खरीद ही लेते,
इसे अपने घर ले जाके जो चाहते सो करवाते,
कन्हैया तो प्रेम का भूखा है,
जो प्रेम है ये उसका है,
नरसी करमा मीरा ने दौलत नहीं दिखाई,
इसी लिये तो उनको देते श्याम दिखाई,
सूखे टंगुल भी चबाये प्रभु साग विधुर घर आये ,
कन्हैया तो प्रेम का भूखा है,
जो प्रेम है ये उसका है,
झूठा प्रेम किया तो चौक श्याम को लगती,
रूठ गये अगर बाबा बिक जाये ये हस्ती,
संजू करले तू भक्ति लुटे गा हर पल मस्ती,
कन्हैया तो प्रेम का भूखा है,
जो प्रेम है ये उसका है,