जबसे मैं तेरे क़रीब हो गया,
इक बदनसीब खुशनसीब हो गया…….
काम मेरा कोई चलता न था,
परिवार अच्छे से पलता न था,
जबसे तू मेरा नसीब हो गया,
इक बदनसीब खुशनसीब हो गया…..
मुश्किल घड़ी में सबने शोषण किया,
तूने मेरा पालन पोषण किया,
जबसे मैं तेरा अज़ीज़ हो गया,
इक बदनसीब खुशनसीब हो गया……
ख़ुशियों से तूने मेरा घर भर दिया,
तेरी कृपा ने ऐसा असर कर दिया,
ग़म के मामले में मैं ग़रीब हो गया,
इक बदनसीब खुशनसीब हो गया……
“मोहित” हुआ तू मेरा काम हो गया,
तेरे प्रेमियों में मेरा नाम हो गया,
क़िस्सा ये कैसा अजीब हो गया,
इक बदनसीब खुशनसीब हो गया…..