है प्रेम जहाँ की रीत सदा

है प्रेम जहां की रीत सदा,
में गीत वहां के गाता हूं,
खाटू में आता जाता हूं,
और बाबा के गुण गाता हूं,

श्री श्याम श्री श्याम,
श्री श्याम श्री श्याम,
जय श्री श्याम

मेरे श्याम प्रभु का भक्त वही,
जो हर ग्यारस खाटू जाता है,
जीवन को संवारा बाबा ने,
जो प्रेमी श्याम गुण गाता है,
हो जिसे जान चुकी सारी दुनिया,
मैं मंत्र वही दोहराता हूं,
खाटू में......

जब दुख के बादल मंडराते
तो मेरा श्याम दौड़ा चला आता है
मेरे श्याम की शरण में जो आता
वो मन वांछित फल पाता है
इतने पावन हैं श्याम मेरे,
मैं नित नित शीश झुकाता हूं
खाटू में......

जो हार के खाटू जाता है
मेरा श्याम उसे अपनाता है
जो प्रेमी प्रेम बढ़ाता है
मेरे श्याम के मन को भाता है
हो मेरा श्याम हमेशा साथ मेरे,
यही सोच के बीजू इतराता हूं
खाटू में.........

जय श्री श्याम
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