कुछ पल तो निकालो बाबा के दरबार के लिए

ये जिंदगी मिली है दिन चार के लिए,
कुछ पल तो निकालो बाबा के दरबार के लिए…….

कई पूण्य किये होंगे जो ये मानव तन हैं पाया,
पर भुल गए भगवन को माया में मन भरमाया,
अब तक तो जीते आए अब तक तो जीते आए,
हैं परिवार के लिए,
कुछ पल तो निकालो बाबा के दरबार के लिए......

तूने पाई पाई जोड़ी कोई कमी कहीं ना छोड़ी,
पर संग में सुन ले तेरे ना जाए फूटी कौड़ी,
कुछ धरम पूण्य तो जोड़ो धरम पुण्य तो जोड़ो,
उस पार के लिए,
कुछ पल तो निकालो बाबा के दरबार के लिए……..

ये जग है एक सराय कोई आए कोई जाएँ,
इसका दस्तुर पुराना कोई सदा ना टिकने पाएँ,
गजेसिंह बाबा को भजलो गजेसिंह बाबा को भजलो,
उद्धार के लिए,
कुछ पल तो निकालो बाबा के दरबार के लिए……..
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