हनुमत तुम्हें प्रणाम

हनुमत तुम्हें प्रणाम करूं,
श्री राम जानकी के, हनुमत तुम्हें प्रणाम करूं,
तुम सबके काज संवारे हो,
पल में दुष्टों को मारे हो,
पवन पुत्र अंजनी के लाला,
मैं भक्त तेरा तू है रखवाला,
भय आए तो हे हनुमंता, मैं तो तेरा ध्यान धरु,
श्री राम जानकी के, हनुमत तुम्हें प्रणाम करूं……..

राम के काज को पूरन करके, तुमने नाम कमाया है,
सुना है बचपन में नटखट थे, सुर्य को तुमने खाया है,
नाम तेरा है मुख पर मेरे, भूत पिचास से क्यों डरु,
श्री राम जानकी के, हनुमत तुम्हें प्रणाम करूं………..

सीय से मिलन कराने खातिर, समुंद्र को तुमने लांघ दिया,
डरे तनिक ना जब अंगद ने, ब्रह्मास्त्र से तुम को बांध दिया,
लंका जार दिए तुम छन मे, तेरे प्रेम वियोग जरू,
श्री राम जानकी के, हनुमत तुम्हें प्रणाम करूं……

रामदूत हे केसरी नंदन, कौन तुम्हारे बिन मेरा,
जाय बचाए तुमने उनको, रोग शोक जिनको घेरा,
खाली मन तन के अंदर मे, भक्ति का रसधार भरू,
श्री राम जानकी के, हनुमत तुम्हें प्रणाम करूं……..
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