बालाजी थारा भक्त बुलावे तने आना से,
सवामणी का रोट बालाजी तन्ने भोग लगाना से,
मोटा मोटा बना रोट मूसल से करी कुटाई,
ऊपर से मिठी मिठी खांड मन्ने बुर्काई,
जो भावे ते ओर बतायैए ना शर्माना से,
सवामणी का रोट.....
देसी घी मे चूर चूर के तैयार करा मैं चोखा,
इतना बढ़िया रोट खान का फेर मिले ना मोखा,
इसी बहाने मन्ने तेरा दर्शन पाना से,
सवामणी का रोट.....
पाई पाई जोड़ जोड़ के रोट करा मन्ने तेरा,
जितनी गुदड़ी उतना मन्ने पैर पसारा मेरा,
56 भोग नही नरसी के ताजा खाना से,
सवामणी का रोट.....