( पाऊं दर्शन मैया आपके तो
भक्ति में मैं संलिप्त हो जाऊं
मिले दो बूंद दया अमृत की तो
कृपा से आपकी मैं तृप्त हो जाऊं। )
फिक्र क्या करनी,
जब मैया जी साथ हैं,
जगत जननी है माई,
जगत सकल की नाथ हैं,
फिक्र क्या करनी.....
मां की शरण में आ,
जिसने धुनि रमाई,
दुनिया में उसकी,
हर खुशी समाई,
दाती के चरणों में,
खुशियों की सौगात है,
फिक्र क्या करनी.....
मां मां कहे जो,
मीठे बोल बोले,
अपनी किस्मत के,
सदा द्वार वो खोले,
संग उसके सदा,
उनका आशीर्वाद है,
फिक्र क्या करनी.....
नाम मैया जी का,
है बड़ा सुखदाई,
सुख पाया उसने,
जिसने महिमा गाई,
करो धन्य मुझे भी मैया,
राजीव की यही फरियाद है,
फिक्र क्या करनी,
जब मैया जी साथ हैं,
जगत जननी है माई,
जगत सकल की नाथ हैं.....
©राजीव त्यागी नजफगढ़ नई दिल्ली