दोहा
( समय समय की बात है, समय समय का खेल,
कभी समय बिछड़ावत है, कभी करावे मेल,
एक एकबार सभी संग बीती,
तुम जानो हमरे संग बीती।। )
राजतिलक का मुहरत भयो जब,
हुआ वनवास राम संग बीती,
तुम जानो हमरे संग बीती.....
राम लखन जब वन को सिधाये,
सीता हरण उनके संग बीती,
तुम जानो हमरे संग बीती.....
पांच पांडव और छठी द्रोपती,
चीर हरण उनके संग बीती,
तुम जानो हमरे संग बीती.....
सूर्य चंद्रमा रहत गगन में,
ग्रहण लग्यो उनके संग बीती,
तुम जानो हमरे संग बीती......
सुर कहे प्रभू अधभूत लीला,
नयन गये हमरे संग बीती,
तुम जानो हमरे संग बीती......
एक एकबार सभी संग बीती,
तुम जानो हमरे संग बीती.......
डॉ सजन सोलंकी