ऐसी भक्ति नहीं जगत में,जैसी है हनुमान की,
ऐसी शक्ति नहीं जगत में, जैसी है हनुमान की,
जय जय जय हनुमान की जय पवन पुत्र भगवान की,
ऐसी भक्ति नहीं जगत में.....
जितने मंदिर राम के जग में सब में श्री हनुमान है,
सेवक श्री हनुमान को देखो ओ भी श्री भगवान है,
चीर के छाती दर्शन दीन्हा कथा सुनो बलवान की,
ऐसी भक्ति नहीं जगत में.....
जिनके हीये श्री राम लखन है संग जानकी माता,
रोम रोम राम बसे है,सकल सृष्टि के ज्ञाता,
स्वामी की भक्ति में बंदे नहीं जगह अभिमान की,
ऐसी भक्ति नहीं जगत में......
सेतु नहीं था निज शक्ति से लंका में सिय को पाया,
अभिमानी रावण को पटका, परम बली को समझाया,
हुल पहाड़ ले उड़े कथा ये प्रेम भक्ति सम्मान की,
ऐसी भक्ति नहीं जगत में,जैसी है हनुमान की,
ऐसी शक्ति नहीं जगत में,जैसी है है हनुमान की,
जय जय जय हनुमान की जय पवन पुत्र भगवान की,
ऐसी भक्ति नहीं जगत में.....